संतोष मिश्रा कटनी । भृस्टाचार और शासकीय कामकाज में बढ़ते राजनैतिक दखल से आम आदमी न सिर्फ परेशान है बल्की भयाक्रान्त है, कहना उचित होगा, हर आने वाले नए अधिकारी से उम्मीद बढ़ जाती हैं कि अब ऐसा नहीं होगा, पर देखने मे आता है कि वही सब कुछ दोगुनी रफ्तार से प्राम्भ हो जाता है कुछ दिनों की खामोशी के बाद। विगत रात्री एक थाने में जिस तरह आधी रात मौखिक आदेश पर थाना प्रभारी की आमद करवाई गई उससे न सिर्फ मीडिया वरन पुलिस वाले और पुलिस को समझने वाले भी हतप्रभ हैं, की अचानक ऐसा क्या हुआ कि शाम तक जिसके नाम की चर्चा भी नहीं थी, विवादों और शिकायतों भरा रहा है जिसका कार्यकाल, ऐसी क्या खूबियां निकल आईं की आधी रात आमद करवानी पड़ी उनकी, वह भी सब पर तरजीह देकर। दरअसल इस पूरे मामले की स्क्रिप्ट जबलपुर में लिखी गई है स्क्रिप्ट के राइटर है संभाग स्तरीय एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी और कटनी के एक प्रभावशाली नेता इनके दबाव में कल रात 9 बजे तक जिस नाम पर आपत्ति थी। पुलिस अधीक्षक को उन्हें ही देर रात ज्वाइन करवाना पड़ा। जबकि सूत्रों के अनुसार वर्तमान में साइबर सेल में सेवाएं दे रहे साफ सुथरी छवि के एक उपनिरीक्षक का नाम लगभग तय हो चुका था सिर्फ आदेश की राष्मादायगी मात्र बची थी। इसी लिए अनुभवी अधिकारी लिखा-पढ़ी पूरी कर ज्वाइन करने वाले को दौड़ा कर पहले गेट पर खड़ा कर देते है तब हटाने वाले को हटाते हैं और अगले को आमद करवाकर फिर आदेश जारी किया जाता है जैसा एक साहब ने कुठला के मामले में किया था। ताजातरीन मामले में सर्वाधिक नुकसान नवागत पुलिस अधीक्षक की छवि को हुआ है, एक विवादास्पद ट्रांसफर जिसमें उनकी कोई भूमिका न होते हुए भी जिम्मेदारी पूरी है और ये भी उतना ही सच है, कि हटाये गये थाना प्रभारी को क्षेत्र की जनता और स्टाफ दोनो का ही भरोसा प्राप्त था।
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