एक तरफ मध्य प्रदेश के सूबे के मुखिया यह दावा करते हुए वक्तव्य दे रहे हैं की एक वक्त था, जब देश में बाघ की प्रजाति विलुप्त होती जा रही थी. ऐसे में इनके संरक्षण और प्रोमोशन को प्रोत्साहित करने के लिए प्रोजेक्ट टाइगर योजना शुरू हुई, जिसका मध्यप्रदेश में इतने शानदार ढंग से क्रियान्वयन हुआ कि आज देश के दिल में बाघों की बहार है और मध्यप्रदेश को तीसरी बार टाइगर स्टेट का दर्जा मिला, जो आज भी बरकरार है लेकिन सूत्रों की माने तो टाइगर स्टेट में सर्वाधिक टाइगर मौजूद अंक देने वाला बांधवगढ टाइगर रिजर्व अब सुरक्षित नहीं है के वाउजूद भी बाघों के घनत्व व सुरक्षित होने का सरकार और प्रबंधन तो भरपूर दावा कर रही है किन्तु बी. टी. आर. के कोर क्षेत्रों में वन्य प्राणियों के शिकार का सिलसिला यदि प्रबंधन के लोगों के द्वारा मीडिया के समक्ष दिए गए बयान को माने तो प्रबंधन के ही लोगों के द्वारा ही जारी है और सरकार के दावे में वन्य प्राणियों सुरक्षा के प्रति प्रबंधन के कुछ जवाबदार आला अफसर व कर्मचारियों का दरिंदा, घिनौना कार्य का चेहरा सामने नजर आ रहा है, जिसकी कल्पना वीडियो देख कर एक वन्य प्राणी रक्षकों से कभी यह उम्मीद नहीं की जा सकती, अभी हाल में ही हाथी जैसे प्राणी के साथ घिनौना कृत्य कार्य करने का मामला शांत ही नहीं हुआ की वन विभाग के कुछ कर्मचारियों द्वारा ही बी. टी. आर. संरक्षित क्षेत्र के मगधी वन परिक्षेत्र के अंतर्गत चीतलो को मारकर शासकीय वाहनों में संदिग्ध परिस्थितियों में ले जाते हुए रिकॉर्डिंग के साथ विडियो ग्रुपों में वायरल किया गया है जिसकी जानकारी विभाग के पास होने के वाजूद भी कार्यवाही करने पर विभाग के आला अफसर असमर्थ है बताया जाता है की विभाग के सभी आला अफसरों के पास उपरोक्त वीडियो उपलब्ध है और लोगों के द्वारा शिकायत भी दर्ज कराई गई है किंतु विभाग संबंधित मामले को लीपापोती करने में लगा हुआ है, सूत्रों की मानें तो बी.टी.आर. का जवाबदार अमला भी उपरोक्त कार्यों में संलिप्त है, सम्बन्धित मामले पर कुछ वन्य जीव प्रेमियों का कहना है की है यदि प्रशासन वायरल हुई वीडियो में अगर कोई संज्ञान नहीं लेता है तो वन्य प्राणियों के जीवन के साथ किया जा रहे ऐसे खिलवाड़ पर कार्यवाही हेतु माननीय उच्च न्यायालय में चुनौती दी जाएगी !
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