भोपाल। नवग्रह की स्थिति को लेकर यह एक विशेष खगोलीय घटना घटित होने जा रही है, इसे ग्रहों का महासंयोग कहा जाता है। इस महासंयोग में सभी ग्रह अलग-अलग राशियों में होते हैं। ग्रहों का यह महासंयोग इस वर्ष लगभग 539 वर्ष बाद बना है। यह वर्ष (2024) में यह स्थिति 20, 21 एवं 22 दिसंबर को 2:15 मिनट दोपहर तक रहेगी, जब सभी ग्रह अलग-अलग राशियों में रहेंगे।
महासंयोग का विश्व स्तरीय प्रभाव –
ज्योतिष मठ संस्थान के संचालक पंडित विनोद गौतम ने बताया की कालगणना के अनुसार इसके पूर्व अलग-अलग राशियों में सभी ग्रह 1485 ईस्वी में थे। जब भी ग्रह गोचरीय व्यवस्था में लंबे अंतराल बाद समानता होती है, उसे ग्रहों का महासंयोग कहते हैं। लगभग 539 वर्ष पूर्व की यह स्थिति इस बार दिसंबर 2024 में बनी है, आगामी स्थिति कब बनेगी यह काल गणना एवं शोध का विषय है। पंडित श्री गौतम के अनुसार ज्योतिष काल गणना में ऐसी स्थितियां 500 वर्ष पश्चात ही निर्मित होती हैं। ग्रहों का यह महासंयोग विश्व स्तरीय प्रभाव दे सकता है, इसमें प्राकृतिक, मानवीय, एवं आर्थिक परिवर्तन देखे जा सकते हैं। महासंयोग पर शोध के अनुसार 539 वर्ष बाद ग्रहों का यह महासंयोग युग परिवर्तन कराने में एवं भारत को विश्व गुरु बनाने में सहयोग प्रदान करता है।
जानिए महासंयोग में ग्रहों की स्थिति –
ज्योतिष मठ संस्थान भोपाल के संचालक ज्योतिषाचार्य पंडित श्री गौतम बताते हैं कि ग्रहों के महासंयोग की स्थिति इस प्रकार से होगी, कि उदय कालिक लग्न धनु राशि में सूर्य, मकर राशि में शुक्र, कुंभ राशि में शनि, मीन राशि में राहु, वृष राशि में गुरु, कर्क राशि में मंगल, सिंह राशि में चंद्रमा, कन्या राशि में केतु, तथा वृश्चिक राशि में बुध विचरण करेंगे। इस प्रकार प्रत्येक राशि में गृह अलग-थलग रहेंगे।
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