10 दिन से नहीं मरहम पट्टी ; जयसिंहनगर में बे-पटरी स्वास्थ्य व्यवस्था

जयसिंहनगर/शहडोल। जिले के जयसिंहनगर मुख्यालय में स्थित अस्पताल अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रहा है। ग्रामीण अंचल से सटे बेहतर और पर्याप्त चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने के लिए स्थापित 50 बिस्तरीय सिविल अस्पताल जयसिंह नगर महज दिखावा साबित हो रहा है। न ही मरीज व उनके परिजन चिकित्सकीय सुविधा में तैनात ड्रेसर को ढूंढ पाते हैं, और न ही उन्हें टिटनेश इंजेक्शन और पट्टी, मलहम जैसे प्राथमिक उपचार में उपयोगी दवाएं सरकारी अस्पताल द्वारा मुहैया करा पा रहे हैं। ज्यादातर तो रेफर सेंटर बन जाते हैं। मामूली चोट लगने पर भी मरीजों को जिला अस्पताल का रास्ता दिखा दिया जाता है।
10 दिन से नहीं मरहम पट्टी –
ग्रामीण क्षेत्र से आने वाले रोगी बताते हैं, कि जयसिंहनगर अस्पताल पर तकरीबन 10 दिनों से सिरिंज बैंडेज कार्टन व कुछ प्रमुख दवाएं उपलब्ध नहीं है। जिसकी वजह से मरीज के परिजनों को बाहर से यह सब खरीदना पड़ रहा है। जो महंगा होने के साथ-साथ विश्वसनीय भी नहीं है। लेकिन इन सबसे दूर स्वास्थ्य केंद्र का जिम्मा संभालने वाले बीएमओ डॉ के. एल. दिवान को जनता की परेशानी से कोई सरोकार नहीं है।
ड्रेसर गायब वार्डबॉय निभा रहे जिम्मेदारी-
जयसिंहनगर अस्पताल की दुर्दशा की लंबी फेहरिस्त है, यहां आने वाले मरीजों के प्राथमिक उपचार में मरहम पट्टी का जिम्मा जिस ड्रेसर पर रहता है, वे कहीं नजर नहीं आते। नाम न छापने की शर्त पर मरीज के परिजन द्वारा बताया गया कि जब मरहम पट्टी और टिटनेश का इंजेक्शन बाहर मेडिकल स्टोर से लाकर दिया गया तब यहां पदस्थ वार्डबॉय द्वारा मरहम पट्टी की गई।
करोड़ों का बजट व्यवस्था फेल –

जानकारों की माने तो 50 बिस्तरीय सिविल अस्पताल में तब्दील हुए जयसिंहनगर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में मरहम पट्टी और औषधीय सामग्री के लिए ही कई करोड़ों का बजट आवंटित होता है, लेकिन बावजूद इसके 10 दिनों से मरहम पट्टी और टिटनेश के इंजेक्शन के लिए मरीजों को बाहर संचालित मेडिकल दुकानों का रुख करना पड़ता है। मसलन जिस तरह से सिविल अस्पताल पर बीएमओ का नियंत्रण है, उससे स्पष्ट है कि जयसिंह नगर में पूरी स्वास्थ्य व्यवस्था बे-पटरी हो चुकी है, इसे वरिष्ठ अधिकारियों को संज्ञान में लेकर दुरुस्त करने की जरूरत है, नहीं तो मरीजों को बेवजह ऐसी ही तकलीफों का सामना करना पड़ता रहेगा।
इनका कहना है –
ऐसा नहीं है, सब उपलब्ध है कोई बाहर से लाकर कराता है तो उसकी व्यवस्था है, बाकी हमारे यहां जो कर्मचारी है उनसे ही कार्य कराया जाता है। – डॉ. के.एल. दीवान, बीएमओ, जयसिंहनगर

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