ब्लास्ट कांड की आठवी बरसी 12 सितंबर 2023 को है। जैसे जैसे वर्ष बीतते जा रहे हैं वैसे वैसे ब्लास्ट की घटना को जनता, नेता भूलते जा रहे है किंतु जिन लोगों ने अपनों को खोया है उनके घाव अभी तक नहीं भरे हैं और ना ही भर सकते हैं अपनों को खोने का दर्द को वही जानते हैं किंतु राजनीतिक दावों और वादों के बीच अपनों को खोने का दर्द दब कर रह गया है। ब्लास्ट की घटना में 78 लोगों ने अपनी जान गवाई थी ।12 सितंबर 2015 कि वह काली सुबह जब सुबह 8:20 पर ब्लास्ट की घटना हुई थी तब पेटलावद के नगर का हर नागरिक उस धमाके की गूंज से स्तब्ध हो गया था । हर कोई घटना स्थल के आसपास एकत्रित होकर घायलों को अस्पताल तक पहुंचाने लगे।
वादे रहे अधूरे
सरकार द्वारा किए गए वादों पर कोई अमल आज तक नहीं हो पाया मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ब्लास्ट की घटना के बाद 3 दिन तक पेटलावद में ही रुके और ब्लास्ट में जान गंवाने वाले एक एक व्यक्ति के घर तक पहुंचे और उनके परिजनों से कई वादे कर आएं किंतु उन वादों में से कई वादे आज भी अधूरे हैं ।कई परिवारों ने अपने घर के मुखिया को खोया उन्हें नौकरी का वादा किया पर आज तक नौकरी नहीं दी। वही नगर वासियों से शिवराज सिंह ने ब्लास्ट पीड़ितों की याद में एक स्मारक बनाने का वादा किया था। किंतु आज तक वह स्मारक कहीं नहीं बन पाया। क्योंकि सरकार,परिषद में बैठे जनप्रतिनिधि उल स्मारक को बनाने के लिए प्रयास भी नहीं कर सके, क्योंकि वह लोगों के दिलो-दिमाग से इस घटना को भुलाना चाहते है।
नेता लगे चुनावी चक्कर में
अपने चुनावी समीकरणों के चक्कर में नगर के नेता आम जनता के दिलो दिमाग से ब्लास्ट की घटना को भुलाना चाहते हैं और केवल अपना स्वार्थ सिद्ध करना चाहते हैं।।
इस बार भी ब्लास्ट की बरसी पर केवल परिजन ही श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे या नेताओं को भी पेटलावद के काला दिवस की याद रहेगी । इस वर्ष विधानसभा चुनाव भी है इसके लिये नेताओं को घड़ियाली आंसू बहाना लाजमी है ।
क्या है घटना
12 सितंबर 2015 की सुबह नगर के नया बस स्टैंड के समीप एक दुकान में छोटा सा धमाका हुआ उसको देखने के लिए कई लोग दुकान की शटर के पास एकत्रित हुए और शटर खोलकर पानी डालकर उस धमाके की आग को बुझाने की कोशिश करने लगे किंतु सटल खोलने के पहले ही दूसरा बड़ा धमाका हुआ उसमें वहां उपस्थित सभी लोगों के चिथड़े उड़ गए यहां तक की पास में होटल पर नाश्ता कर रहे हैं कई लोग भी इस धमाके के शिकार हुए वही गुजरात का एक परिवार जो नाश्ते के लिए रुका था उसके भी दो-तीन परिजन इस घटना में मृत हुए वही मकान मालिक के परिवार के 4 सदस्य की भी इस घटना मे मृत्यु हुई
घटना के मुख्य आरोपी रहे राजेन्द्र कासवा इस घटना में मृत हुआ या कहीं चला गया यह आज तक राज ही रहा है उस काले दिन पेटलावद में एक साथ 32 लाशों को जलते हुए देखा था वह दर्द आज भी लोगों के सीनों में जिंदा है । किंतु राजनीतिक रोटियां सेकने वाले नेताओं ने उस दर्द को भुला दिया है और केवल अपने हितों के लिए इस घटना को इतिहास के पन्नों में बंद कर दिया है।
चौराहे का सफर
वेसे जिस स्थान पर ये विभत्स हादसा हुआ है उससे कुछ दूरी पर चोराहा है और घटना से पहले ये सिर्फ चोराहा था उसके बाद इसका सौंदर्यीकरण करते हुए नामकरण अहिंसा सर्कल किया गया लेकिन हादसे के बाद आक्रोशित जनता ओर पीड़ित परिजनों ने इसे श्रद्गांजली चोक में बदल दिया तब से अब तक इसे श्रद्गांजली चोक के नाम से जाना पहचाना लगा| लेकिन 13 माह पूर्व इस स्थल पर गो माता कि मूर्ति बिठाकर गोविंद गो सेवा समिति का रूप दिया । इस तरह से इन 08 सालो में ये चोराहा हर घटना का साक्षी बना है। जो आज भी पिडितो की तरफ से इस हादसे के जिमेदारो को सजा देने के दृश्य को देखने का साक्षी बनना चाहता है।
जनता देगी जवाब
आम नागरिकों के पास आज यह समय है जब वह ब्लास्ट पीड़ितों की पीड़ा का जवाब नेताओं को दे सकते हैं और सरकार के सामने पीड़ितों का दर्द व उनकी मांगे भी रख सकते हैं सरकारे दोनों पार्टियों की आई और गई किंतु उन्होंने केवल वादे ही किए पीड़ितों को इंसाफ दिलाने के लिए कोई प्रयास या मदद नहीं की,ब्लास्ट की इस बरसी पर क्या कुछ होगा या फिर वही घड़ियाली आंसू बहा कर अपने कर्तव्य की इतिश्री कर ली जायेगी।
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